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सरकार को तो शर्म नहीं पर हम क्यों बेशर्म हो गए.. 26/11 के शहीद के चाचा ने किया आत्मदाह।

sathi
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देश की सरकार बेशर्म है और इतनी बेशर्म की भ्रष्टाचार, मंहगाई और आतंकबाद सभी के प्रति प्रधानमंत्री से लेकर, मंत्री, सिपहसलार यहां तक की सोनीया गांधी और राहुल गांधी तक बेतुके बयानबाजी भर करते है। कोई कहता है मंहगाई रोकना मेरे बस में नही तो कोई बाटला हाउस के आतंकी के घर जा कर मातम मना आता है।

बेशर्म सरकार के पास मंहगाई, भ्रष्टाचार और आतंकवाद से लड़ने का एक ही हथियार है और वह भी कारगर। इस कारगर हथियार का नाम है भगवा आतंकाबाद। देश की बर्तमान सरकार ने धर्मनिरपेक्षिता के मयान में सम्प्रदायिक तलबार छुपा रखी है। इसी तरह की तलबार कुछ धर्मनिरपेक्ष लोगों के पास भी है जो अल्पसंख्यक तुष्टीकरण के लिए निकाली जाती है। दोहरे मापदण्ड के इस देश मे आज सबसे बड़ी समस्या यह नही है सरकार क्या कर रही है समस्या यह है कि हम क्या कर रहे है. आखिर ऐसा क्या हो गया है कि 26/11 के शहिदों को न सिर्फ जलील किया जाता है बल्कि शहीद मेजर संदीप उन्नीकृष्णन के चाचा के. मोहनन को संसद भवन के सामने विजय चौक पर आत्मदाह करनी पड़ गई और यह देशइसे भी महज एक समाचार की तरह ही देखता रह गया ?

शहीदों का जिस तरह इस देश मे अपमान किया जा रहा है उसमें मोहनन की तरह हमारा खून क्यों नहीं खौलता। बरवस ही शहीद भगत सिन्ह की याद आ जाती है। आजादी के दिवाने भगत सिंह और उनके साथियों को जब भागकर कोलकत्ता जाना पड़ा तो वहां उन्हें इस बात की चिंता हुई कि आखिर इस देश के लोगों को क्या हुआ कि वे लोग देश की आजादी के लिए जान को दांव पर लगा दिया है और यहां लोग उन्हें आतंकबादी के रूप मे जानते है और भाषणबाजी करने के साथ साथ अंग्रेजों के पिठठू कांग्रेस के नेता स्वतंत्रतासेनानी बन गए हें । अपने आप को देशभक्त साबित करने के लिए भगत सिंह को अपने साथियों के साथ फांसी पर चढ़ जाना पड़ा पर आज भी इस देश में कुछ भी नहीं बदला।

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