sathi
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उस दिन सभी जगह हंगामा मच गया,
घर से चौरहे तक
चर्चा है…
लड़की घर से भाग गई।
बैठकी में चिल्ला रहें हैं कपिल बाबू
जवानी बर्दाश्त नहीं हुई छिनाल से
गांव-घर का नाम डुबा कर चली गई।
खेलाबन चाचा भी बरस रहें हैं
कहते थे की बेटी को कब्जे में रख
चौखट से बाहर गई नहीं की
“त्रिया चरित्र” शुरू।
बुधिया काकी के देह में जैसे आग लग गया हो,
छौडी
मरदमराय
अभी से कोहवर खोजो है।
सब कुछ सुन
मन ही मन बुदबुदा रहा है
पगला भोली।
सब साधू है साधू…..
ई कपीलबा
पतोहू के रखेलनी रखे वाला,
और
ई खेलबना
बेटी के उमर के मुसहरनी साथ धराबे बाला,
सब साधू है साधू।
काकी को तो पगला बोल ही दिया मुंह पर,
की काकी
अपन बेटी के पेट गिरा के
निशेबजबा संग बियाह देला
बेचारी के देख के तरस बरो है।
सब साधू है साधू…………
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