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भारत विश्व को शांति का संदेश देने वाला देश है और अमेरिका को उंगली कर दुनिया को थर्राने वाला ओसामा बिन लादेन के मारे जाने के बाद एक बार फिर से यह बात साबित हो गई। भारत सरकार के मुखीया के सर्वप्रिय नेता दिग्गी राजा ने एक बार फिर से शांति का संदेश दे दिया। दिग्गी राजा ने पाकिस्तान मंे घंुस कर ओसामा के मारे जाने और लाश को संमुद्र में दफना दिये जाने का विरोध करते हुए कहा कि दुनिया को देखना चाहिए कि यह अमेरिका की दादागिरी है? मनवाधिकार का उल्लंधन है। चलो जब अमेरिका के डर से कोई खांेख भी नहीं रहा, कोई तो बापके लाल! ने ऐसा हिम्मत किया।
हां दुनिया का कोई देश लादेन की शव को अपनी जमीन पर दफनाने यदि नहीं देता तो दिग्गी के घर में काफी जगह थी और वहीं उसकी समाधी बना का दिग्गी एक वोट बैंक के लॉकर बन जाते।
अब भला बताइए। यह भी कोई बात हुई, पाकिस्तान में घुंस कर लादेन को मार गिराया और समुंद्र मंे दफन कर दिया। भारत में यदि लादेन होता तो आमेरिका की औकात होती कि उसे मार गिराता? हां एक बात लादेन को करनी पड़ती, वह यह कि चुनाव के समय फतबा जारी कर कांग्रेस को वोट देना का, बस बन गई थी बात। पर लादेन की बुद्धि यहां तेल लेने चली गई। अजि यहां खुले आम मुंबई हमले में लोगों को मारने वाला कसाब और संसद पर हमला करने वाला अफजल दामादी ठाठ से रह रहा है तो भला बताइए लादेन की ठाठ कैसी होती?
अपना देश भी अपना है प्यारे? यहां बाटला हाउस में आतंकियों को मारने में शहीद होने पर इंस्पेक्टर को श्रद्धांजली देने के बजाया इस सवाल को लेकर हंगामा होने लगा कि मरने वाला आतंकी नहीं था सच भी है, यह सच भी हो सकता है आखिर दिग्य विजय होने के मायने भी तो कुछ होने चाहिऐं। अपने दिग्गी राजा दिग्गदर्शी भी है। एक बार नहीं कई बार यह बात साबित हो गई। करकरे को कसाब ने नहीं मारा और जितने भी सबूत है वह सब बेकार यह तो सिर्फ अंर्तयामी दिग्गी राजा जानते है कि करकरे का संधीयों ने मारा है। जय हो।
सो भईया लादेन यदि भारत में होता तो उसकी भी ठाठ होती और अपनी भी आखिर हम धर्मनिरपेक्ष देश है और धर्मनिरपेक्षता की व्याख्या तो सोनिया मैडम ही बेहतर कर सकती है….. जय हो..
नोट- ‘‘बाप का लाल होना’’ मुहावरे का व्याख्या पाठक स्वंय करें। और यदि कोई विद्वतजन हो तो इसे वाक्य में बदले, बदले में उन्हें कुछ भी नहीं मिलेगा।
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