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मेरे महबूब

sathi
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मिजाजे महबूब को न जान पाया मैंने।
उनकी खुशी में खुशी, उदासी में मातम मनाया मैंने।।

महबूब के दामन में हो फूलों की महक।
चमन के खार को अपना बनाया मैंने।

महबूब के आंखों में देखी जब भी नमी।
कोने में छूप कर आंसू बहाया मैंने।

महबूब के होठों की एक हल्की हंसी।
जमीने दोजख में भी जन्नत पाया मैंने।।

दर्द तो मेरे सीने में भी बहुत है हमदम।
तुम उदास न हो जाओं, उसको भी छुपाया मैंने।।

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