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गुनहगार-(गजल)

sathi
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यह दुनिया क्या, इसके सितम क्या,
जितने दुनियादार होगे, उतने सितम का एहसास होगा।

पल भर में जहां बात बदल जाती है,
ऐसी दुनिया में, है कौन सितमगर किसे याद होगा।

वह जिसने कहा था जान देगें तेरे खातीर,
कब सोंचा था, वही मेरी जां का तलबगार होगा।

बात गुनाहों की कभी अब न करो,
आइने में अपना ही चेहरा शर्मसार होगा।

आसमां की बुलंदी पर जब देखा सबने,
किसने सोंचा था, बिना पंख के परवाज होगा।

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