Menu
blogid : 135 postid : 594418

लैंपपोस्ट

sathi
sathi
  • 59 Posts
  • 61 Comments

तुफानों की घिरी जिंदगी
डूबती-उतरती रहती है..

कभी सतह पर
तलाशती है कोई
तिनका..

कभी
तलाशती है उसे
जो खोया ही नहीं…

कभी भरकर
मुठ्ठी में रेत
मचल जाती है…

कभी तलाशती है
स्याह
रातों की
सलवटें..

तभी दूर कहीं एक
लैंपपोस्ट
कहती हो जैसे
तुम भी क्यों ने बन जाते हो
मेरी तरह
.
थरथराती हुई सी सही
मेरी रौशनी किसी को
राह तो दिखाती है..
किसी को किनारा तो
बताती है…

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh